मेडिटेशन के प्रकार के बारे में जानते हैं

मेडिटेशन के प्रकार निम्न प्रकार होते है | मेडिटेशन के नियमित अभ्यास को हम अपने दिनचर्या में शामिल करने पर मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रखते हैं। जिससे हमारा जीवन को आसान व सरल बन जाता है। मेडिटेशन से हम कई बीमारियों से बचते हैं। मेडिटेशन का नियमित ही हमें हमारी आत्मा से मिलता है। जिससे हम अपने विचारों को नियंत्रण कर सकते है।

इसलिए मेडिटेशन का नियमित अभ्यास हम सभी के लिए बेहद ही जरूरी है, मगर मेडिटेशन का सही रूप से अभ्यास करने के लिए आपको किसी गुरु की जरूरत है।

मेडिटेशन के प्रकार | Types Of Mediation

1- लिविंग-काइंडनेस मेडिटेशन– इस मेडिटेशन के नियमित अभ्यास से हमारे मन में नम्रता, दयालुता, सद्भावना पैदा होती है। अगर आपको ज्यादा गुस्सा या आप चिड़चिड़े रहते हैं, तो आपको इस मेडिटेशन का नियमित तौर पर अभ्यास करना चाहिए। इस मेडिटेशन के अभ्यास के लिए सबसे पहले अपनी आंखें बंद कर लें, फिर ध्यान की मुद्रा में बैठ जाएं और अब दूसरों के प्रति प्रेम, दया का एहसास करें। इससे आपके मन को शांति मिलेगी।

2- विपस्सना मेडिटेशन– इस मेडिटेशन के अभ्यास में आपको अपने सांसों पर ध्यान लगाना होता है। इसके लिए आपको सबसे पहले अपने मन को शांत करने की जरूरत होती है, उसके बाद अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें। अब गहरी-गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। इस क्रिया को लगातार 10-15 मिनट तक दोहराते रहें। इस दौरान अपने सांस पर ध्यान लगाने का प्रयास करें। हाँ शुरूआत में ध्यान लगाने में थोड़ा परेशानी होती है, मगर जैसे-जैसे आप नियमित मेडिटेशन अभ्यास करते रहेंगे तो आपको ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलेगी। अगर आप नियमित मेडिटिशेन का अभ्यास करते हैं, तो आपकी जिंदगी तनाव मुक्ति और स्वस्थ होने लगती है।

3- कुंडलिनी मेडिटेशन– इस मेडिटेशन के दौरान सांस, मंत्र, मुद्रा और एकाग्रता का इस्तेमाल किया जाता है। कुंडलिनी मेडिटेशन हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमता को बढ़ाने में हमारी मदद करता है। इस ध्यान का नियमित रूप से अभ्यास करने पर हम मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते है। इस मेडिटेशन के अभ्यास के लिए हमें सबसे पहले अपने रीढ़ पर सीधा बैठना होता है। इसके बाद प्रार्थना की मुद्रा में अपनी आंखों बंद करके किसी मंत्र का उच्चारण करना होता है। इस अभ्यास को कम से कम 15-25 मिनट तक लगातार करें। हाँ इस दौरान अपने मन को इधर-उधर भटकने से रोकें।

4- ट्रांसडैंटल मेडिटेशन– इस मेडिटेशन के अभ्यास में आपको एक मंत्र या एक शब्द पर अपना ध्यान केंद्रित करने की जरूरत होती है। मेडिटेशन के इस प्रकार को वहीं लोग बेहतर तरीके से कर सकते हैं, जिन्हें मेडिटेशन की संरचना पसंद हो और जो मेडिटेशन को गंभीरता से लेते हैं। आपको बता दें- मेडिटेशन के इस प्रकार से हमारा रक्तचाप संतुलित होता है, हमारा तनाव कम होता है और हमारी कई गंभीर बीमारियों से रक्षा करता हैं। इस मेडिटेशन का अभ्यास अपनी आंखों बंद कर किसी मंत्र या शब्द का उच्चारण करते हुए कम से कम 20-25 मिनट करें।

अगर आप मेडिटेशन करना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले मेडिटेशन के लिए समय निकालने की जरूरत है। मेडिटेशन के लिए प्रातः काल का समय सबसे अच्छा माना जाता है। मेडिटेशन के अभ्यास के दौरान पद्मासन में बैठना अच्छा रहता है। इस दौरान बाहरी आवाजों से अपने मन को भटकाएं की कोशिश ना करें।

ध्यान क्रिया के 2-3 घंटे बाद खाना खाएं और मेडिटेशन करने से पहले भी भोजन ना करें। इस दौरान अपने मन को खुश रखने का प्रयास करें। ध्यान लगाने से पहले गहरी व लंबी सांसें लें। अगर हम मेडिटेशन को अपने दिनचर्या में शामिल करते है, तो हम मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते है।

ध्यान क्रिया का अभ्यास करने से हम कई बीमारियों से दूर रहते है और हमारे शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। इस दौरान आपके मन में कई विचार आएँगे। अपने विचारों को आने दें, मगर उन विचारों पर अपने ध्यान ना लगाएँ।

Leave a Comment