हठयोग का अर्थ है- किसी व्यक्ति द्वारा जिदपूर्वक या हठपूर्वक किया जाने वाला योग अभ्यास हठयोग कहलाता है। हठयोग शब्द ह और ठ से मिलकर बना है। ह का अर्थ- हकार यानि सूर्य नाड़ी, ठ का अर्थ- ठकार यानि चंद्र नाड़ी होता है। हठयोग के हकार और ठकार शब्द को संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ ने भी स्वीकार किया है। हठयोग के साफ होता है यह योग जिदपूर्वक किया जाने वाला एक योग है।
“हकार कीर्तित सूर्यष्ठकारश्चेन्द्रव उच्यते।
सर्याचन्द्रयमसोर्योगात् हठयोगो निगद्यते।।”
हठयोग का श्रेष्ठ मार्गदर्शन में नियमित रूप से अभ्यास करने पर हमें शारीरिक व मानसिक रूप से कई लाभ मिलते हैं। अगर हठयोग का बिना मार्गदर्शन अभ्यास किया जाता है, तो इसके नकारात्मक परिणाम भी आ सकते है। आपको बता दें- हठयोग के कई क्रियाएँ कठिन मानी जाती है।
हठयोग का अभ्यास हमें सहनशील, परिश्रमी व जिज्ञासु बनाता है। सूर्य और चंद्रमा के संयोग को हठयोग कहते है। सूर्य यानि यमुना और चंद्रमा यानि गंगा है। इन दोनों के संयोग से अग्नि स्वर, सुषुम्रा स्वर और सरस्वती स्वर चलते है। जिससे ब्रह्मनाड़ी में प्राण का संचरण होने लगता है।
जब हम प्राणायाम करते है तो हमारे प्राण के आघात से हमारी सुप्त कुंडलिनी जाग्रत होने लगती है। यह प्रक्रिया इस योग को विशेष बनाती है। जिसके कारण यह योग काफी लोकप्रिय है। जिस प्रकार हम चाबी से ताला खोलते है, ठीक उसी प्रकार से योग से कुंडलिनी के द्वार यानि मोक्ष द्वार खुलते है।
आपको बता दें- राजयोग की साधना के लिए ही हठविद्या का अध्ययन किया जाता है। आसन प्राणायाम और मुद्राएँ ही हमें राजयोग की साधना तक लेकर जाती है। हठयोग का प्रभाव हमारे अभ्यास और शांतिपूर्ण स्थान पर रहता है। इसके नियमित अभ्यास से हम सहज रूप से मोक्ष तक पहुंच सकते है।
मगर इस विद्या का अभ्यास एकांत में करना बहुत प्रभावशाली माना जाता है। हाँ इस योग का अभ्यास जिज्ञासु साधक ही करें क्योंकि आम जन के लिए यह यह योग इतना आसान नहीं है। हमें योग का अभ्यास सिर्फ ईश्वर प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं बल्कि स्वस्थ व साधक जीवन जीने के उद्देश्य से अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।
हठयोग राजयोग साधना की तैयारी के लिए सबसे उपयोगी माना गया है। इसके अलावा इसे स्वास्थ्य का संरक्षण, रोग से मुक्ति व चेतना की जागृति के लिए भी अच्छा माना जाता है। अगर आप शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते है, तो हठयोग के अभ्यासों का आश्रय ले सकते है। हठयोग क्रिया हमारे शरीर की कई दोषों को मुक्त करती हैं।
इसके अभ्यास से हमारी मांसपेशियाँ मजबूत होती है और हमारे शरीर में प्राणिक ऊर्जा का संरक्षण होता है। जिससे हमारे शरीर के अंग-प्रत्यंग चुस्त बने रहते है। इसलिए स्वास्थ्य संरक्षण के लिए हठयोग महत्वपूर्ण माना जाता है।
आज आधुनिक वैज्ञानिक युग में आयुर्विज्ञान की नई-नई खोज हो रही है। मगर आज भी नियमित योगाभ्यास से हम कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं। जैसे- मानसिक तनाव, मधुमेह, रक्तचाप, मोटापा इत्यादि। हठयोग के अभ्यास से हम अपने शरीर को अपने वश में कर सकते है।
जब हमारा शरीर स्थिर और मजबूत हो जाता है, तो हम प्राणायाम व मेडिटेशन के द्वारा अपने सांसों को नियंत्रित कर सकते है। हमारे प्राण के नियंत्रण से हमारा मन भी नियंत्रित होता है। जिससे हम अपने मनोनिग्रह और प्राणापान संयोग से शक्ति जाग्रत कर ब्रह्मनाड़ी में गति कर जाते है।
इससे हमें कई योग्यताएँ प्राप्त होती हैं। हठयोग के अभ्यास से ही हम अपनी चेतना को जागृति कर सकते है। योग के अपनाने से हमारी वाणी में मृदुता, हमारे आचरण में पवित्रता, हमारे व्यवहार में सादगी आती है। जिससे हमारे शरीर का गठीला, निरोग व चुस्त अन्य गुणों की पूर्ति होती है। योग आज हमारे देश ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व लोकप्रिय है। जिसे स्वस्थ रहने का सबसे आसान तरीका माना जाता है।