क्रोध हमारी एक भावना है। जिससे हमारी हृदय की गति व हमारा रक्त चाप बढ़ता है। क्रोध हमारे भय से उपजता है। हमारा भय हमारे व्यवहार में स्पष्ट रूप से व्यक्त होता है। हमारा क्रोध हमारी कायरता की निशानी है। हर व्यक्ति के अंदर परिस्थितियों को झेलने का साहस और धैर्य नहीं होता है।
हम सब अपने भय को रोकने की कोशिश करते है। जिससे की हमें क्रोध का शिकार ना होना पड़े, क्योंकि क्रोध में मनुष्य की सोचने की शक्ति व समझने की क्षमता लुप्त हो जाती है। जिससे वह अपने क्रोध में भटकता रहता है। क्रोध आने के कई कारण हो सकते हैं। मगर मुख्यतः कारण व्यक्तिगत व सामाजिक है। वैसे क्रोध हर इंसान करता हैं, मगर उसका स्तर अलग-अलग होता है।
क्रोध के कारण हमारा मन नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है, जिससे हमें कई प्रकार के नुकसान उठाने पड़ते हैं। क्रोध से कई लोग समाज में यह भी दिखाने की कोशिश करते है, कि उनका भी अपना अस्तित्व है, मगर यह साफ-साफ गलत है। अगर आपको समाज में अपनी मौजूदगी दिखानी है, तो आपको सहनशीलता और कठोर परिश्रम के साथ आगे बढ़ना होगा।
तभी आप समाज में अपना अस्तित्व बना सकते है। क्रोध हमें इंसानी समाज से दूर ले जाता है। जिससे हमारे अपने हमसे दूर होने लगते हैं। क्रोध सिर्फ समाज को गंदा करना नहीं होता बल्कि क्रोध का ध्येय किसी व्यक्ति विशेष व समाज विशेष से प्रेम की अपेक्षा करना भी हो सकता है।
अगर आपको बात-बात पर क्रोध आता हैं, तो इसे समय रहते दूर करने की कोशिश करें। जब हमारा क्रोध बेकाबू हो जाता है, तो हमारा जीवन मानसिक, शारीरिक व भावनात्मक समस्याओं में उलझने लगता हैं। इसलिए हमें अपने क्रोध को काबू करने की कोशिश करनी चाहिए।
अगर आप अपने क्रोध को नियंत्रण ना कर पाने से परेशान हैं, तो अपनी दिनचर्या में योग और मेडिटेशन को शामिल करें। इस ऐप के माध्यम से आप अपने क्रोध को ही नहीं बल्कि अपनी मानसिक व शारीरिक क्षमता को भी नियंत्रित कर सकते हैं।
वैसे आपको बता दें- क्रोध या गुस्से को नियंत्रण करने में ध्यान क्रिया सबसे अच्छा विकल्प माना गया है। ध्यान क्रिया का हमें कई लाभ मिलते है। क्रोध हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। क्रोध के दौरान हमारी हृदय गति व रक्तचाप बढ़ जाता है। जिससे हमें हृदयघात, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, कब्ज़, सिरदर्द, चिंता इत्यादि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं क्रोध हमारी जीवन की समग्र गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है।
हमें समझना चाहिए कि क्रोध हमारे और समाज के लिए सही नहीं है, क्योंकि क्रोध हमें सीधा नुकसान पहुंचाता है। हमें यह अपने ध्यान में रखना चाहिए कि हमें किसी पर क्रोध नहीं करना है। हाँ कभी-कभी हमारी भावनाएं उत्पन्न हो जाती है। जिसे हम नियंत्रित करने में असमर्थ रहते हैं। जब हम बच्चे होते हैं, तो हमें गुस्सा ना करने के लिए कहा जाता है, लेकिन हमें कभी गुस्से को नियंत्रित या कम करने के बारे में नहीं बताया जाता हैं। इसलिए हमें सबसे पहले अपने अंदर के गुस्से को नियंत्रित करना सीखना चाहिए।
हमें गुस्सा या क्रोध अपने आस-पास के माहौल को देखते हुए आता है। इसलिए हमें इस माहौल में सुधार करना सीखना चाहिए। हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि गुस्सा या क्रोध हमारी कमियों को दूर नहीं कर सकता है। इसलिए हमें अपने अंदर की कमियों को होश पूर्वक सुधार करना चाहिए।
यह कहना तो बहुत आसान है, मगर मन व भावनाओं से निपटना बहुत ही मुश्किल है। क्रोध को कम व नियंत्रित सिर्फ ध्यान व योग के माध्यम से किया जा सकता है। हमारे क्रोध के लिए हमारा खाना भी उतना ही जिम्मेदार है, जितनी हमारी आदतें हैं। इसलिए हमें अपने खाने में भी संतुलन बनाएं रखने की भी जरूरत है। इसके अलावा हमें अपने शरीर को सही समय पर सही विश्राम भी देना चाहिए।
जब हमारा शरीर थका-थका रहता है, तो हमें गुस्सा बहुत आता है। आज हर व्यक्ति अपने शरीर को सही आराम नहीं दे पा रहा है। जिसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार है। इसलिए हमें आज और अभी से योग व मेडिटेशन के बारे में जानना शुरू कर देना चाहिए।